ऑटो चालक से सद्भावना राजदूत: अद्भ ुत परिवर्तन की गाथा
सौ साल पहले, गांधीजी दिल्ली से चम्पारण गए थे, जहां भारत को ‘स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम शक्तिशाली हथियार के रूप में सत्याग्रह’ प्राप्त हुआ। आजादी के बाद हजारों लोग रोजगार की तलाश में चम्पारण से दिल्ली आए।
इसलिए, चम्पारण सत्याग्रह के शताब्दी वर्ष में गांधीजी को ‘‘कार्याजली’’ स्वरूप गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति ने दिल्ली और एनसीआर में कार्यरत चम्पारण आॅटो चालकों के जीवन में समग्र परिवर्तन लाने का निर्णय लिया। इसके तहत उन्हें क्षमता निर्माण के गुर सिखाए जा रहे हैं, जिससे उनका जीवन स्तर तो सुधरेगा ही, साथ ही राष्ट्रीय राजधानी में सैलानियों को भी यात्रा का अच्छा अनुभव मिलेगा। दिलचस्प तथ्य यह है कि दिल्ली एनसीआर में चम्पारण निवासी आॅटो चालकों की खासी तादाद है, इसलिए समिति ने चम्पारण के आॅटो चालकों की आजीविका और व्यवसाय के स्तर का एक सर्वेक्षण करवाया। उसके परिणामों के आधार पर समिति ने कौशल विकास मंत्रालय के प्रधानमंत्री कौशल विकास कार्यक्रम के तहत चालकों के पूर्व कौशल को मान्यता देना आरंभ किया।
इसके अतिरिक्त बिस्वजीत सिंह के नेत्रत्व में और विश्वास गौतम, पूजा सिंह, चन्दन गुप्ता, आशीष मिश्रा और मौसमी कुमारी के सहयोग से समिति की कौशल विकास टीम ने जीवन कौशल प्रशिक्षण की परिकल्पना का सृजन किया और उन्हें लागू करवाया। जो पूर्व कौशल मान्यता कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण है। यह आॅटो चालकों के व्यवसाय संबंधी कार्यों का ही प्रबंधन नहीं करता, अपितु उनके उज्जवल भविष्य हेतु वित्तीय, साख, परिवार, स्वास्थ्य और सुरक्षा का भी प्रबंधन करता है।
परिवहन मंत्रालय द्वारा निजी और व्यवसायिक वाहनों के लाइसेंस के अंतर को खत्म करना भी आॅटो ड्राइवरों के लिए राहत की खबर लेकर आया, इस मुद ्दे को आॅटो चालक निरंतर उठाते रहे हैं और गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति भी इस दिशा में प्रयास करती रही है। करीब 1000 चम्पारण आॅटो चालकों को पूर्व कौशल मान्यता कार्यक्रम के भाग-1 के तहत प्रशिक्षित किया जा चुका है।