गांधी : 150 के तहत महत्वपूर्ण पहल
कोलकाता
गाँधी स्मृति एवं दर्शन समिति द्वारा कोलकाता एयरपोर्ट पर गांधी गैलरी की स्थापना
पश्चिम बंगाल के माननीय राज्यपाल श्री केशरी नाथ त्रिपाठी ने 25 जुलाई, 2019 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, कोलकाता में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर आयोजित एक विशेष समारोह में गांधी गैलरी - महात्मा गांधी व्याख्या केंद्र का उद्घाटन किया। श्री शंकर कुमार सान्याल, सदस्य, कार्यकारी समिति जीएसडीएस और अध्यक्ष हरिजन सेवक संघ, श्री कौशिक भट्टाचार्य, निदेशक कोलकाता एयरपोर्ट, श्री दीपंकर श्री ज्ञान, निदेशक, गांधी स्मृति और दर्शन समिति, श्रीमती गीता शुक्ला, शोध अधिकारी और अन्य उद्घाटन समारोह में उपस्थित थे। भूमा इन्फोटेक के श्री मनीष भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
उद्घाटन के बाद, माननीय राज्यपाल ने गांधी गैलरी में प्रदर्शनी का अवलोकन किया कियोस्क के माध्यम से महात्मा गांधी की जीवन यात्रा पर आधारित डिजिटल प्रदर्शनी भी उन्होंने देखी ।
उल्लेखनीय है कि महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के अवसर पर गाँधी स्मृति एवं दर्शन समिति द्वारा गांधी गैलरी - महात्मा गांधी व्याख्या केंद्र की स्थापना भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के सहयोग से की गयी है । यह महात्मा के जीवन, विचारों, दर्शन और गतिविधियों पर आधारित एक स्थायी प्रदर्शनी गैलरी है।
यह गैलरी के कोलकाता हवाई अड्डे के आगमन लाउंज में स्थापित किया गया है, जहां महात्मा गांधी के पश्चिम बंगाल के साथ जुड़ाव को 24 पैनलों में प्रदर्शित किया गया है। स्थानीय नेताओं, स्वतंत्रता सेनानियों और अन्य लोगों के साथ उनकी तस्वीरों का प्रदर्शन किया गया है। इस प्रदर्शनी में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ गांधीजी के संबंधों को प्रमुखता से दिखाया गया है। सोदपुर आश्रम, नोआखली यात्रा, 1946-1947 में सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के उनके प्रयासों को भी विस्तृत रूप से प्रदर्शित किया गया है।
इसके अतिरिक्त गाँधी गैलरी में स्थापित डिजिटल कियोस्क में प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से महात्मा गांधी के जीवन और समय को लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। इसमें गांधी जी के आदर्शों और दर्शन को समझने और युवा पीढ़ी को गाँधी की जानकारी देने के लिए क्विज, महात्मा पर फिल्में और अन्य जानकारी शामिल की गयी है।
महात्मा गांधी का कोलकाता के साथ विशेष रूप से गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर से सम्बन्ध सभी जानते हैं। फीनिक्स आश्रम से लौटने पर महात्मा गांधी ने अपने परिवार और अन्य लोगों के साथ शांतिनिकेतन को अपने अस्थायी विराम स्थल के रूप में चुना था। यहाँ कवि, जिन्होंने अपने गायन से हजारों लोगों को आज़ादी को गले लगाने के लिए प्रेरित किया और महात्मा गाँधी, जिन्होंने त्याग का अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया, मिले और भारत और मानव जाति के प्रति उनके प्रेम ने उन्हें एकजुट किया। गुरुदेव ने गांधी को "महात्मा" : एक महान आत्मा की उपाधि से सम्मानित किया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भी 1944 में पहली बार बापू को "राष्ट्रपिता" के रूप में संबोधित किया था।
उल्लेखनीय है कि संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार ने चरणबद्ध तरीके से पूरे भारत में 50 नामित हवाई अड्डों पर "गांधी गैलरी" स्थापित करने की जिम्मेदारी गाँधी स्मृति एवं दर्शन समिति को सौंपी है। इससे पहले लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, वाराणसी में भी समिति द्वारा गांधी गैलरी की स्थापना की गयी है, जिसका उद्घाटन उत्तर प्रदेश के माननीय राज्यपाल श्री राम नाईक ने जनवरी 2019 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ किया।
कोलकाता हवाई अड्डे का अवलोकन करने आये समिति की कार्यकारिणी सदस्य और हरिजन सेवक संघ के अध्यक्ष श्री शंकर कुमार सान्याल ने कहा कि विभिन्न हवाई अड्डा परिसरों में गांधी गैलरी की स्थापना बहुत अच्छी पहल है। यह एक नया आयाम खोलेगी, क्योंकि इस गैलरी को दुनिया के विभिन्न कोनों से आने वाले बहुत से लोगों द्वारा देखा जाएगा। शांति, सार्वभौमिक भाईचारा और अहिंसा के बापू के संदेश, जो आज न केवल यात्रियों, बल्कि हवाई अड्डे से गुजरने वाली युवा पीढ़ी के बीच भी उतना ही प्रासंगिक है, क्योंकि वे गांधी जी से ज्यादा परिचित नहीं हैं।
श्री सान्याल ने श्री कौशिक भट्टाचार्य, निदेशक हवाई अड्डा, श्री एच पुल्ला, महाप्रबंधक (ओपीएस), श्री पंकज गुप्ता, महाप्रबंधक (इंजीनियरिंग-सिविल) और एयरपोर्ट अथोरिटी ऑफ़ इंडिया के अन्य अधिकारियों से 10 और 13 मई, 2019 को मुलाकात की और गाँधी की 150 वीं जयंती के कार्यक्रमों को लेकर चर्चा की।
• झारखंड
गुमला में महात्मा गांधी व्याख्या केंद्र का उद्घाटन
30 अगस्त, 2019
महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती को मनाने के लिए आयोजित समारोहों के सिलसिले में, विकास भारती बिशुनपुर के सहयोग से समिति ने झारखंड के गुमला में व्याख्या केंद्र की स्थापना की। व्याख्या केंद्र का उद्घाटन 30 अगस्त, 2019 को बिशुनपुर में सुधीर जोशी (भैया जी) और श्री आर पी सिंह, क्षेत्रीय निदेशक ओएनजीसी, बोकारो द्वारा किया गया था। विकास भारती के सचिव पद्मश्री श्री अशोक भगत, उद्घाटन समारोह में शामिल हुए।
समिति की शोध अधिकारी श्रीमती गीता शुक्ला ने प्रदर्शनी केंद्र के लेआउट के बारे में उद्घाटन समारोह में प्रस्तुती दी और कार्यक्रम के दौरान प्रतिनिधियों को केंद्र का दौरा भी करवाया।
मध्य प्रदेश
गांधी की 150वीं जयंती पर ग्राम स्वराज यात्रा का आयोजन
16-19 अगस्त, 2019
महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के उपलक्ष्य में, गांधी स्मृति और दर्शन समिति ने महात्मा गांधी के जीवन, संदेश और दर्शन को समाज के विभिन्न वर्गों तक ले जाने के उद्देश्य से एक "ग्राम स्वराज पदयात्रा" का आयोजन किया। ग्राम स्वराज पदयात्रा का नेतृत्व माननीय संस्कृति मंत्री और समिति के उपाध्यक्ष, श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने किया। दिनांक 16-19 अगस्त, 2019 तक मध्य प्रदेश के जिला अनंतपुर से दमोह, तक 86 किमी की दूरी तय करने वाली इस पदयात्रा में समिति निदेशक श्री दीपंकर श्री ज्ञान, महात्मा गांधी के परपोते और भारत सरकार की गांधी 150 समिति के सदस्य, श्रीकृष्ण जी कुलकर्णी,समिति के पूर्व सलाहकार श्री बसंत, डॉ. वेदभ्यास कुंडू, कार्यक्रम अधिकारी, , श्री जगदीश प्रसाद, श्री रमन कुमार, श्री यतेंद्र और कुछ अन्य स्टाफ सदस्य माननीय मंत्री के साथ शामिल हुए। एकता परिषद के श्री पी. वी. राजगोपाल भी यात्रा में शामिल हुए।
अपने जीवनकाल में, महात्मा गांधी ने नागरिकों की चेतना को जगाने और उन्हें ब्रिटिश राज से मुक्ति दिलाने के भारत के प्रयास में शामिल करने को कई पदयात्राएं कीं। महात्मा गांधी, सत्याग्रह, उपवास, पदयात्राओं, प्रार्थना सभाओं आदि में, मुख्य तत्व पारदर्शिता, मानवीय दृष्टिकोण और साधनों की शुद्धता पर जोर देते थे ताकि वांछित लोग अपनी गरिमा के साथ अपना आदर्श जीवन प्रस्तुत कर सकें।
महात्मा गांधी के इस बुनियादी दर्शन को देखते हुए, माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के माननीय सदस्यों से अपने निर्वाचन क्षेत्रों में "पदयात्रा" करने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर महात्मा गांधी की दृष्टि को प्रत्येक बूथ पर प्रतिष्ठित नागरिकों से जोड़ने की अपील की।
16 अगस्त को माननीय संस्कृति मंत्री और समिति उपाध्यक्ष श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने अनंतपुरा से चांदपुर तक यात्रा शुरू की; उसके बाद, चांदपुर से चिरारी, चिरारी से बागसपुरा; बागसपुरा से गोपालपुरा, गोपालपुरा से गुना; गुना से बालेह (रहली विधानसभा) लगभग 22 किलोमीटर की दूरी तय की गयी।
17 अगस्त को यात्रा बालेह से पिपरिया घाट तक शुरू हुई और गुंजोरा के लिए रवाना हुई। गुन्जोरा से उदयपुरा तक; उदयपुरा से मोढ़ पिपरिया; मोढ़ाद से गढ़ाकोटा; गढ़ाकोटा से दातपुरा तिराहा; दंतपुरा से खेजरा तिराहा; खेजरा तिराहा से घोगरा; घोघरा से बंसकला लगभग 32 किलोमीटर की दूरी तय की गयी।
18 अगस्त को, यात्रा ने पथरिया विधानसभा से खेजाखेडी पथरिया विधान सभा क्षेत्र की लगभग 23 किलोमीटर की दूरी तय की। इस दौरान निम्नलिखित स्थानों को कवर किया गया: बंसकला से पथरिया; पथरिया से बैलाखेड़ी; बेलीखेड़ी से नोरू तिराहा तक; नोरु तिराहा से मारा तिराहा; मारा तिराहा से छपरी; छपरी से सदगुरु तिराहा; सदगुरु से सेमरा; सेमरा से जोरतला; जोरतला से खोजाखेड़ी पथरिया विधानसभा।
19 अगस्त को, श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने अपनी यात्रा की समाप्ति के लिए ख़ोजखेड़ी विधानसभा से दमोह विधानसभा तक की यात्रा शुरू की और निम्नलिखित स्थानों को कवर किया गया: खोजखेड़ी से परसोरिया; परसोरिया से पिपरिया तिराहा; पिपरिया तिराहा से तिदोनी तिराहा; टिडोनी तिराहा से इमली चौराहा; इमली चौराहा से दमोह के गुरुद्वारा तक। यहीं पर मध्य प्रदेश के दमोह की झुग्गी में गांधीजी ने गुरुद्वारा की नींव रखी थी। महात्मा गांधी अनंतपुर से गढ़ाकोटा होते हुए दमोह आए। मीरा बेन उनके साथ थीं। क्षेत्र के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी पंडित जगन्नाथ प्रसाद पटेरिया द्वारा उन्हें शेवरले कार में दमोह लाया गया था।
श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने यात्रा के दौरान आयोजित विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि इस गुरूद्वारे की शिलान्यास महात्मा गाँधी ने किया था, अतः गांधीजी को श्रद्धान्जली स्वरूपइसी स्थान पर उन्होंने इस यात्रा का समापन करने का फैसला किया।
राष्ट्र के परिवर्तन के लिए हस्तलिखित विचार : पैन इंडिया का एक अभियान
भारत का 73 वाँ स्वतंत्रता दिवस महात्मा गाँधी के परिवर्तन मंत्र से प्रेरित होकर, भारत भर से आये सामाजिक परिवर्तन विचारों के एक अनूठे प्रदर्शन के साथ मनाया गया। समिति ने कोच्चि स्थित गैर-लाभकारी संस्था के साथ मिलकर पूरे भारत में छात्रों को एक सामाजिक परिवर्तन विचार को पोस्टकार्ड पर लिखने के लिए आमंत्रित करते हुए 'राष्ट्र के लिए हस्तलिखित परिवर्तन विचार' का 73 घंटे का एक अनूठा अभियान शुरू किया। यह अभियान महात्मा गांधी के कालातीत परिवर्तन मंत्र: स्वयम वह परिवर्तन बनिए, जिसे आप दुनिया में देखना चाहते हैं, पर आधारित था। इसके लिए व्यक्तिगत निमंत्रण पूरे भारत के 1500 से अधिक शैक्षिक संस्थानों को ईमेल के माध्यम से दिया गया और उन्हें CHANGE150 कार्यशाला आयोजित करने का अनुरोध किया गया। यह स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आयोजित एक घंटे का सत्र था, जिसके दौरान छात्र पोस्टकार्ड पर अपने सामाजिक परिवर्तन विचारों को स्पष्ट करने के लिए अपने संबंधित संस्थानों में एक साथ आएंगे। इस अभियान में एक लाख से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए।
इस अभियान को भारत के हर क्षेत्रों में , ग्रामीण से शहरी तक, जाति, पंथ, धर्म और आर्थिक बन्धनों की भावनाओं से दूर रहते हुए अपर जनसमर्थन मिला।
इस अभियान के तहत भारत के 15 राज्यों के 35 शहरों से परिवर्तन विचार आए। इनमें नवोदय विद्यालय, केंद्रीय विद्यालय, भारतीय विद्या भवन और दिल्ली पब्लिक स्कूल से लेकर आईआईएम, आईआईटी और सैनिक स्कूलों तक, इस अद्वितीय अभियान का हिस्सा बने। इस कार्यक्रम के प्रति लोगों में जूनून का आलम यह था कि कई डाकघरों में पोस्टकार्ड की अभूतपूर्व कमी के बावजूद, इनमें से कई शिक्षण संस्थानों ने अपने CHANGE150 कार्यशालाओं को बाद में फिर से आयोजित किया और कई ने चार्ट पेपर का उपयोग करके अपने स्वयं के पोस्टकार्ड भी बनाए।
यहां तक कि जब समयसीमा पूरी होने की तारीख बहुत नजदीक थी, तब समिति और लेटरफ़ार्म ने देश भर में फैले 1500 शैक्षणिक संस्थानों को ईमेल और व्यक्तिगत पत्रों के माध्यम से इस अभियान हेतु आमंत्रित करने के लिए कड़ी मेहनत की, और उन्हें महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती वर्ष पर आयोजित कार्यक्रमों का हिस्सा बनने में उनकी मदद की । गांधीजी के परिवर्तन के विचारों से युवाओं को जोड़ने के लिए इस अभियान के तहत भारत भर के युवाओं की उर्जा का उपयोग किया गया। इस तरह के कार्यक्रम देश के विभिन्न हिस्सों में युवाओं को एक साथ जोड़कर महात्मा गाँधी की 150 वीं जयंती समारोह में सफलतापूर्वक ऊर्जा का शानदार समावेश करते हैं। इस कार्यक्रमों के माध्यम से उनकी प्रभावशीलता अधिक संसाधनों और सावधानीपूर्वक अनुवर्ती के साथ कई गुना बढ़ सकती है।
CHANGE150 परियोजना, कोच्चि स्थित गैर-लाभकारी संगठन लेटरफ़ार्म्स द्वारा, 2 अक्टूबर 2018 को शुरू हुई और भारत के राज्यों के 150 शहरों के आम नागरिकों द्वारा पोस्टकार्ड पर हस्तलिखित परिवर्तन विचारों को जुटाने के लिए एक जन-संचालित मिशन पर रही है। इस प्रकार हज़ारों लोगों द्वारा प्राप्त संदेशों ने महात्मा के परिवर्तन के मंत्र को कार्य-बिंदुओं में बदल दिया, और युवा भारत को हमारे समाज और राष्ट्र के बड़े हित के लिए सोचने के लिए प्रेरित किया।
इंडिया पोस्ट, नेशनल गांधी म्यूजियम दिल्ली, नेशनल रेल म्यूजियम दिल्ली और कोच्चि मुजिरिस बेनेले, CHANGE150 पोस्टकार्ड डिस्प्ले जैसे प्रतिष्ठित संगठनों के साथ भागीदारी करते हुए हजारों आम नागरिकों को एक साधारण पोस्टकार्ड लेने और एक सोशल चेंजमेकर होने के लिए अपना पहला कदम उठाने के लिए प्रेरित किया गया है।
भारत के राष्ट्रपति ने पूज्य मोरारी बापू की गांधी मानस कथा का उद्घाटन किया
24 सितंबर-अक्टूबर 2, 2019
भारत के माननीय राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने 24 सितंबर, 2019 को गांधी आश्रम, किंग्सवे कैंप, दिल्ली में महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के अवसर पर हरिजन सेवक संघ द्वारा आयोजित पूज्य मोरारी बापू की गांधी मानस कथा का उद्घाटन किया। ।
सभा को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि गांधीजी का जन्म भारत में हुआ था, लेकिन वे संपूर्ण विश्व और मानवता के थे। पूरी दुनिया उन्हें एक 'महान आत्मा' के रूप में याद करती है, जिसने हमें 'अहिंसा' और 'सत्याग्रह' का मार्ग दिखाया है। गांधीजी का जीवन एक महाकाव्य की तरह है। और दुनिया भर में लाखों लोग उसकी जीवन-कहानी सुन रहे हैं और उससे प्रेरणा पा रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि देश भर और अन्य देशों की अपनी यात्राओं में, उन्होंने हमेशा पाया कि आम लोगों से लेकर राज्यों के प्रमुखों तक, सभी ने गांधीजी के लिए बहुत सम्मान रखा।
श्री प्रहलाद सिंह पटेल, माननीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री भी इस अवसर पर उपस्थित थे। श्री शंकर कुमार सान्याल, अध्यक्ष हरिजन सेवक संघ ने उपस्थित लोगों का स्वागत किया। माननीय राष्ट्रपति ने गांधी आश्रम में कस्तूरबा गांधी की प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।
गांधी स्मृति और दर्शन समिति द्वारा “मोहन टू महात्मा” पर एक प्रदर्शनी प्रदर्शित की गई। इस अवसर पर समिति द्वारा प्रकाशित पुस्तक , "एथिक्स मैटर्स : द टाइम इस नाउ" की प्रति माननीय राष्ट्रपति को भेंट की गयी।
प्रथम गांधी स्मृति शांति और अहिंसा व्याख्यान
प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान परम पूज्य प्रोण् सामधोंग रिम्पोचे ने कहा कि हिंसा और अशांति को यदि नष्ट करना हैए तो उसके लिए मनुष्य को सर्वप्रथम स्वयं के मन में शांति स्थापित करनी होगी। बिना आंतरिक शांति केए हम विष्व शांति की कल्पना नहीं कर सकते। श्री रिम्पोचे गांधी स्मृति एवं दर्षन समिति की ओर से नई दिल्ली स्थित गांधी स्मृति परिसर में आयोजित प्रथम गांधी स्मृति व्याख्यान में प्रमुख वक्ता के तौर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि जब तक व्यक्ति के मन में शांति नहीं होगीए वह प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हिंसक रहेगा। इसलिए हमें यह सोचना होगा कि हम बुद्धए महावीर और गांधी के उपदेषों को गहराई से देखते हुए स्वयं को किस प्रकार शांत रख सकते हैं। अपने संबोधन में राष्ट्रीय विधि एवं शोध विष्वविद्यालय रांची के कुलपति प्रोण् केसव राव वड़ुकुला ने कहा कि महात्मा गांधी की प्रासंगिकता को समस्त वैष्विक समुदाय ने मान्यता प्रदान की है। इसलिए पूरा विष्व महात्मा गांधी की जयंती को अहिंसा दिवस के रूप में मनाता है। उन्होंने कहा कि शांति और अहिंसा बाह्य जगत में खोजने से गन्वेषणा करने से मिलने वाला नहीं है। सर्वप्रथम अपनी आन्तरिक शांति को स्थापित करना होगाए व्यक्ति की आन्तरिक शांति स्थापित होगी तो वह अहिंसा को सहज रूप से अपना सकेंगेए तभी वह अन्य लोगों को भी शांति और अहिंसा की ओर प्रेरित करने की क्षमता रखेंगे। इसके बिना हम शांति और अहिंसा की जितनी भी बातें करंेए वह सब एक शब्दों का ही व्यापार रह जाएगाए यथार्थ में कोई आ नहीं पाएगा। शंाति एक मन का गुण है। पाश्चात्य जगत में आज शांति की बात करते हैंए तो युद्ध रहित क्षेत्र या युद्ध रहित समय को शांति मानते हैं। युद्ध रहे या न रहेए हिंसा समाप्त होने वाली नहीं है। घोषित.अघोषित युद्ध निरन्तर चलता रहता है और उससे हिंसा निरंतर होती रहती हैए हिंसा से अशांति फैलती है। अशांति से हिंसा फैलती हैए तो यह एक तरह से चक्र हैए उसका कहीं अन्त होने वाला नहीं हैए अगर हिंसा को सही मायने में अंकुश या निर्मूल करना है तो मन की शांति नितान्त आवश्यक हैए जब एक व्यक्ति के मन मंे शांति नहीं होगी तो वो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हिंसक रहेगा।
इस अवसर पर हरिजन सेवक संघ के उपाध्यक्ष श्री लक्ष्मीदास की दो पुस्तकों ष्पंचायती राजष् व ष्गांधी और सामाजिक आन्दोलनष् और गांधी स्मृति एवं दर्षन समिति के संपादक श्री प्रवीण दत्त शर्मा की पुस्तक ष्गांधी युग के हास्य व्यंग्यष् का विमोचन भी किया गया। समिति द्वारा इन पुस्तकों की श्रृंखला का प्रकाशन महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती पर किया गया है।
कार्यक्रम के आरम्भ में भारतीय विद्या भवन के मेहता स्कूल के बच्चों ने सर्वधर्म प्रार्थना प्रस्तुत की। समिति निदेषक श्री दीपंकर श्री ज्ञान ने सभी अतिथियों व आगंतुकों का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर श्रीमती तारा गांधी भट्टाचार्यए श्री वाई पी आनंदए श्री सतपाल ग्रोवरए श्री रामचंद्र राहीए संजय सिंह सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।
शिक्षा के भविष्य" पर होलोग्राफिक गांधी के साथ संवाद
27जनवरी, 2020
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस को मनाने के लिए कमानी सभागार नई दिल्ली में 27 जनवरी, 2020 को "शिक्षा का भविष्य" विषय पर एक चर्चा आयोजित की गयी। गाँधी स्मृति एवं दर्शन समिति के सहयोग से यूनेस्को एमजीआईईपी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में शिक्षकों, छात्रों, शिक्षाविदों और नीति निर्धारकों सहित लगभग 400 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का सत्र ‘होलोग्राफिक गांधी’ के साथ चर्चा से आरम्भ हुआ, जिसमें अनेक उत्साही युवा प्रतिभागियों ने भाग लिया । माननीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल निशंक इस अवसर पर मुख्य अतिथि थे। प्रख्यात लेखक और कवि व राज्य सभा के पूर्व सदस्य डॉ करण सिंह, पूर्व शिक्षा मंत्री फ्रांस, सुश्री नजत वलौद-बेल्केम, यूनेस्को के गवर्निंग बोर्ड में भारत के प्रतिनिधि श्री जगमोहन सिंह राजपूत, यूनेस्को एमजीआईईपी के निदेशक श्री अनंता दुरैयप्पा के साथ श्री दीपांकर श्री ज्ञान, निदेशक गाँधी स्मृति एवं दर्शन समिति ने चर्चा में भाग लिया। यूनेस्को एमजीआईईपी के निदेशक श्री अनंत दुरियाप्पा ने चर्चा का संचालन किया।
पैनल चर्चा गांधी के एक स्थायी होलोग्राम के साथ शुरू हुई, जिसने गांधी की विचारधारा के बारे में 7 मिनट तक बात की। यह चर्चा महात्मा गांधी डिजिटल संग्रहालय की तकनीकी टीम द्वारा विकसित की गई, जिसमें गांधीजी के सत्याग्रह, अहिंसा, दयालुता और आलोचनात्मक जिज्ञासा पर आधारित लेखन अंशों को समाहित किया गया था। जबकि अधिकांश लोग गांधी को केवल उनके राजनीतिक विचारों और लेखन के लिए ही जानते हैं, गाँधी के होलोग्राम ने बताया कि शिक्षा के बारे में गांधीजी के विचार क्या थे।
चर्चा में भाग लेते हुए भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल निशंक ने विश्व में स्थायी शांति की संस्कृति बनाने के लिए शांति और अहिंसा के गांधीवादी मूल्यों को बढ़ावा देने के महत्व पर प्रकाश डाला। श्री पोखरियाल निशंक ने कहा: अकादमिक सफलता, महत्वपूर्ण है, किन्तु यह हमारी शिक्षा प्रणाली का अंतिम लक्ष्य नहीं हो सकती। शिक्षा को एक गंभीर लक्ष्य का पीछा करना चाहिए, वह है- मानव उत्कर्ष के लिए शिक्षा। यदि वास्तविक सामाजिक परिवर्तन प्राप्त करना है, तो गांधीजी की शिक्षाओं को हमारी शिक्षा प्रणालियों में ढालने और हमारे दैनिक जीवन में अनुकरणीय बनाने की आवश्यकता होगी।
अपने संबोधन में श्री दीपांकर श्री ज्ञान ने कहा, “यदि वास्तविक सामाजिक परिवर्तन को प्राप्त करना है, तो गांधी के उन विचारों को, जो उन्होंने अपने प्रयोगों के माध्यम से सावधानीपूर्वक लागू किए हैं, को हमारी शिक्षा प्रणाली में लागू किया जाना चाहिए। ये कौशल या दक्षता जैसे सहानुभूति, माइंडफुलनेस, आवेग नियंत्रण और दयालुता निरंतर प्रयोग और अनुभव के माध्यम से बनाई जा सकती है, गांधीजी ने इन रास्तों को स्वयम बनाया था। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि असमानता, बहिष्कार, हिंसा और संप्रदायवाद जैसी वैश्विक चुनौतियों के बढ़ने के परिणामस्वरूप एक व्यापक सामाजिक असंतुलन पैदा हो गया है, जिसने मानवता को अलग कर दिया है और कहा कि व्यक्तियों समाज या राष्ट्र के निर्माण हेतु बुद्धि और चरित्र पर ध्यान केंद्रित करने वाली शिक्षा मुख्य लक्ष्य होना चाहिए।
शिक्षा की वर्तमान स्थिति पर विचार प्रकट करते हुए सुश्री बेल्केस्म ने कहा: "शिक्षा प्रणालियों को आज कार्यबल के अनुकूल कौशल विकसित करने से परे देखने की आवश्यकता है। हमें अपने बच्चों के भावनात्मक कौशल को विकसित करने की आवश्यकता है और इसमें गांधी की करुणा और सहानुभूति, अहिंसा और सच्चाई पर आधारित शिक्षाओं पर जोर देना हमारी शिक्षा प्रणालियों के लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है। '
संवाद श्रृंखला पर टिप्पणी करते हुए डॉ दुरिअप्पा ने कहा कि "बेहतर भविष्य के लिए, हमें केवल एक ऐसी शिक्षा पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए जो मानव पूंजी का निर्माण करे बल्कि ऐसी शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे मानव का उत्कर्ष हो। उन्होंने आगे कहा, “ "जब तक हमारी वर्तमान शिक्षा प्रणालियां भावनात्मक बुद्धिमत्ता का निर्माण नहीं करती हैं, तब तक हम अत्यधिक साक्षर लोगों की ऐसी दुनिया के रूप में समाप्त हो सकते हैं, जिनके पास सहानुभूति की कमी है और केवल स्वयम की भलाई के लिए चिंतित हैं। लेकिन यह टिकाऊ नहीं है और यह शांतिपूर्ण और टिकाऊ समाजों का निर्माण नहीं करेगा। ”
इसके अलावा डॉ. करण सिंह ने कहा कि जब हम आज दुनिया की स्थिति को देखते हैं, तो हमें महसूस होता है कि हमें भविष्य में ऐसे नेताओं की जरूरत है जो केवल अपने नेतृत्व और बौद्धिक कौशल में शानदार नहीं हैं, अपितु इसके बजाय हमें भावनात्मक रूप से लचीला, दयालु और सहानुभूति रखने वाले गांधीजी जैसे नेताओं की आवश्यकता है। गांधीजी के गुणों का अनुकरण करने के लिए हम युवा को कैसे सशक्त बना सकते हैं, मुझे लगता है कि हमारी शिक्षा प्रणाली कम उम्र में ऐसे गुणों को पेश करने में एक अनिवार्य भूमिका निभा सकती है।
यह चर्चा मुख्यतः आज की दुनिया में शिक्षा के अर्थ और उन उपायों पर जो संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 4 - समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्ता की शिक्षा को सुनिश्चित करने और जीवन भर के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए हासिल किए जाने हैं, पर केन्द्रित रही। पैनल ने हमारी शिक्षा प्रणालियों में भावनात्मक और साथ ही संज्ञानात्मक पहलुओं को विकसित करने की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर चर्चा की, ताकि इस शिक्षा से उन युवाओं का निर्माण हो सके, जो टिकाऊ शांति को बढ़ावा दें। यह चर्चा भविष्य की शिक्षा और महत्वपूर्ण दक्षताओं के भविष्य पर केंद्रित थी, जिन्हें अधिक शांतिपूर्ण और स्थायी समाजों की खोज में शिक्षा प्रणालियों में विकसित करने की आवश्यकता है।
संवाद का एक अनूठा पहलू एक युवा विचार था। कुन्नी ने गांधी के उन गुणों का जिक्र किया जो उनके लिए प्रेरणादायी थे। उन्होंने कहा कि उसने आत्म-शिक्षा के माध्यम से स्कूली शिक्षा की शून्यता को भरने का प्रयास करते हुए लगभग एक दशक पहले महात्मा से प्रेरणा ली थी। मेरे अफसोस की बात यह है कि उस समय तक स्कूल में बिताया गया समय मुझे अपने सोचने के लिए आवश्यक उपकरणों से लैस करने में विफल रहा था। तब मैंने उन मूल्यों पर विचार किया जो मुझे इस खूबसूरत ग्रह पर सामंजस्यपूर्ण रूप से सह-अस्तित्व में लाने में सक्षम थे। इसलिए मैं प्रकाश के लिए गांधी को धन्यवाद देता हूं और आशा करता हूं कि आज और भविष्य के छात्रों को पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ेगा और इस तरह के पुरातन, अत्याचारी, बौद्धिक रूप से शामक और भावनात्मक रूप से स्तब्ध करने वाले अनुभव के परिणामों पर अफसोस होगा। गांधी दर्शन में गांधी-कारीगर हाट का उद्घाटन
20 फरवरी, 2020
एक विशेष समारोह में, राज्यसभा के पूर्व सदस्य डॉ कर्ण सिंह ने 20 फरवरी 2020 को गांधी दर्शन में ‘गांधी-कारीगर हाट’” का उद्घाटन किया, जिसमें 200 से अधिक लोग मौजूद थे। जैन मुनि राष्ट्रसंत गुरुदेव श्री नम्र मुनि, समिति के कार्यकारिणी सदस्य और उपाध्यक्ष हरिजन सेवक संघ श्री लक्ष्मी दास, प्रख्यात गांधीवादी श्री बसंत सिंह, श्री सीता राम गुप्ता, सीईओ ल्यूपिन ह्यूमन वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन, भरतपुर के साथ समिति निदेशक श्री दीपंकर श्री ज्ञान इस अवसर पर उपस्थित थे।
डॉ.कर्ण सिंह ने इस अवसर पर न केवल "गांधी-कारीगर हाट" का उद्घाटन किया, बल्कि उन्होंने "बहुउद्देश्यीय सामुदायिक केंद्र" की भी आधारशिला रखी, जिसे गांधी दर्शन में विकसित किया जाएगा। गांधी-कारीगर हाट और बहुउद्देश्यीय सामुदायिक केंद्र का उद्घाटन डॉ करण सिंह द्वारा उनके स्थानीय संसद क्षेत्र विकास योजना (सदस्य एलएएलएडीएस) से प्राप्त दो करोड़ रुपये के अनुदान से हुआ है।
इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. करण सिंह ने कहा कि यह उनके सांसद फंडों में से सबसे बड़ा अनुदान है जो उन्होंने गांधी दर्शन को दिया है, क्योंकि उन्हें लगता है कि कौशल विकास और स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने से संबंधित सांस्कृतिक, शैक्षणिक और विभिन्न अन्य गतिविधियों पर गांधी दर्शन में इस पैसे का सही उपयोग किया जाएगा।
उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने महात्मा गांधी को देखा था और गांधीजी के साथ एक पल की मुलाकात ने उनका जीवन बदल दिया था। उन्होंने कहा कि आज हालांकि जबरदस्त विकास हुआ है, लेकिन संघर्ष भी तेज हुए हैं, जो विनाशकारी है। उन्होंने अभद्र भाषा और क्रोध में वृद्धि पर अपनी चिंता व्यक्त की और कहा कि अहिंसा या अहिंसा की प्रासंगिकता ही मानव को अधिक मानवीय बना सकती है। उन्होंने युवाओं से अपने भीतर करुणा विकसित करने का आह्वान किया।
श्री लक्ष्मी दास, श्री बसंत और श्री सीता राम गुप्ता ने भी इस अवसर पर अपने विचार प्रकट किये और कारीगरों और ग्रामीण विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया और आशा व्यक्त की कि गांधी-कारीगर हाट स्वदेशी श्रमिकों को अवसर देगा और गांधीजी की आत्मनिर्भरता की अवधारणा को बढ़ावा देगा।
इस अवसर पर श्री सीता राम गुप्ता ने क्रमशः समिति के श्री प्रमोद राम और श्री गेंदा लाल को नाई और मेसन के टूल किट दिए।
इससे पहले निदेशक श्री दीपंकर श्री ज्ञान ने डॉ. करण सिंह का आभार व्यक्त किया जिन्होंने अपनी सांसद निधि से समिति को अनुदान देने के बारे में सोचा, जिसके कारण गांधी कारीगर हाट की स्थापना हो सकी उन्होंने आशा जताई कि इससे लोगों को अपनी प्रतिभा और कौशल को प्रदर्शित करने के नए अवसर मिलेंगे। उन्होंने डॉ सिंह को शीघ्र ही "बहुउद्देश्यीय सामुदायिक केंद्र" की स्थापना का आश्वासन दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत तानसेन विद्यालय, नजफगढ़ के कलाकारों द्वारा गाए गए भजनों के साथ हुई, जिसकी अगुवाई श्री ज्योति प्रकाश मिश्रा ने की, जिन्होंने महात्मा गांधी के पसंदीदा भजनों की प्रस्तुति दी।