तिहाड़ में

Tihar

सेंट्रल जेल नं 16, मंडोली जेल
लिंग संवेदीकरण और मासिक धर्म स्वास्थ्य पर कार्यशाला
6 सितंबर, 2019
समिति ने सेंट्रल जेल नंबर 16, मंडोली जेल में 6 सितंबर, 2019 को "लिंग संवेदीकरण और मासिक धर्म स्वास्थ्य" पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का उद्देश्य महिला कैदियों को लिंग संवेदनशीलता और मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता व प्राकृतिक चिकित्सा के बारे में उनकी सोच में बदलाव लाना था। सत्र का प्रारम्भ श्रीमती आशा द्वारा प्रतिभागियों को गांधी स्मृति और दर्शन समिति के बारे में परिचय के साथ हुआ। समिति के संग्रहालय के बारे में श्रीमती शोभा द्वारा दी गई थी।
डॉ मंजू अग्रवाल ने लिंग संवेदीकरण के बारे में बोलते हुए कहा कि लिंग संवेदीकरण किशोर लड़कियों और महिलाओं को उनके व्यक्तिगत व्यवहारों और मान्यताओं की जांच करने में मदद करता है। उन्होंने मासिक धर्म के दौरान व्यक्तिगत स्वच्छता के बारे में भी बताया। उन्होंने कैदियों को खुद को साफ-सुथरा रखने के लिए प्रोत्साहित किया व खुले में शौच के खतरों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने आगे हस्तमुद्रा विज्ञान के माध्यम से हाथ की स्वच्छता पर डेमो दिया।
इस अवसर पर कैदियों द्वारा विभिन्न गतिविधियों का प्रदर्शन किया गया जैसे कि एक कैदी ने एक प्रेरक कविता का पाठ किया था और दूसरे कैदी ने एक प्रेरक गीत गाया।
समूह विभाजन और समूह अभ्यास का संचालन श्रीमती आशा और शोभा ने किया। कुल 64 प्रतिभागियों को पांच समूहों में विभाजित किया गया था। इन समूहों ने चित्र बनाए और चार्ट पेपर पर स्लोगन लिखे।
जेल अधीक्षक सुश्री नीता नेगी ने प्रतिभागी कैदियों से कार्यक्रम के बारे में प्रतिक्रिया ली। कार्यक्रम का समापन प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित करके किया गया।

गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर में मंडोली जेल में वाल पेंटिंग
महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करने की पहल के तहत तिहाड़ जेल की केंद्रीय जेल 12, मंडोली में चौबीस दीवारों को चित्रित किया गया। यह चित्रांकन जेल कैदियों द्वारा किया गया है, इसके अलावा स्वयंसेवी संगठन दिल्ली स्ट्रीट आर्ट के कलाकारों ने भी कुछ पेंटिंग बनाई हैं।
महात्मा गांधी के जीवन और यात्रा को समर्पित पेंटिंग "मोनिया से महात्मा" लोगों के आकर्षण का केंद्र रही। चित्रों में महात्मा के जीवन और उनके जीवन की कुछ प्रमुख घटनाओं को दर्शाया गया है और गांधीजी द्वारा रेखांकित 'रचनात्मक कार्यक्रमों' पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है। डॉ मंजू अग्रवाल, सुश्री प्रेरणा जिंदल और सुश्री कनक कौशिक ने इस कार्यक्रम का समन्वय किया।