महिलाओं के लिए कार्यक्रम

Women

"लिंग संवेदीकरण और मासिक धर्म स्वास्थ्य” पर कार्यशाला
26 जुलाई 2019

इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज ट्रस्ट के सहयोग से समिति ने 26 जुलाई, 2019 को कल्याणपुरी पुलिस स्टेशन में "लिंग संवेदीकरण और मासिक धर्म स्वास्थ्य" पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया।
कार्यशाला का उद्देश्य “लिंग संवेदीकरण” और मासिक धर्म स्वास्थ्य व स्वच्छता के बारे में लोगों की सोच में बदलाव के लिए प्रोत्साहित करने के लिए लोगों का ध्यान आकर्षित करना था। कार्यशाला में किशोरियों, घरेलू कामगारों, गृहिणियों और स्थानीय समुदाय के अन्य लोगों ने हिस्सा लिया। सत्र की शुरुआत सुश्री आशा और सुश्री शोभा ने गाँधी स्मृति एवं दर्शन समिति के बारे में जानकारी देकर की।
वरिष्ठ संसाधन व्यक्ति सुश्री अमिता जोशी ने लैंगिक संवेदीकरण पर प्रतिभागियों से बात की। उन्होंने कहा कि लैंगिक संवेदीकरण, किशोरियों और महिलाओं को उनके व्यक्तिगत दृष्टिकोण और मान्यताओं की जांच करने में मदद करता है और उन्हें उन मुद्दों पर जागरूक करता है, जिनके बारे में उनको वास्तविकता पता नहीं होती। परिवर्तन जमीनी सत्र से आरम्भ होता है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में कई परिवारों में लड़कों को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और कैरियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। लेकिन लडकियों को घर के कार्य सीखने के लिए प्रेरित किया जाता है। उन्होंने इसी विषय पर एक फिल्म क्लिप भी दिखाई।
कार्यशाला में गतिविधियों में भाग लेने वाली लड़कियों द्वारा लैंगिक समानता पर काम किया गया जहाँ उन्होंने दिखाया कि लड़कियाँ भी लड़कों के समान और महत्वपूर्ण हैं।
कार्यक्रम का दूसरा सत्र “गुड टच एंड बैड टच” और स्वास्थ्य और मासिक धर्म स्वच्छता पर डॉ. मंजू अग्रवाल के व्याख्यान के साथ शुरू हुआ। उन्होंने प्रस्तुति के माध्यम से समझाया कि लड़कियां कैसे महसूस कर सकती हैं कि क्या ‘गुड टच’ और ‘बैड टच’ है। उन्होंने अच्छे स्पर्श और बुरे स्पर्श के बीच अंतर के बारे में युवा लड़कियों को बताया। उन्होंने कहा कि अच्छा स्पर्श सुखद लगता है, असहज नहीं। यह देखभाल, प्यार और मदद करने के लिए एक तरीका है, जैसे आपके माता-पिता आपका सोते समय माथा चूमते हैं, या आपके दादा-दादी अपने हाथ में आपका हाथ लेते हैं या आप खेलते समय अपने मित्र का हाथ पकड़ते हैं तो इसे एक बुरे स्पर्श के रूप में नहीं माना जाता है । जबकि, बुरा स्पर्श वह है जो आपको असहज बनाता है और आप अप्रिय महसूस करते हैं। अगर कोई आपकी मर्जी के बिना आपके निजी अंगों को छूता है या कोई आपको छूता है और आपसे कहता है कि किसी को मत बताना या अगर कोई आपको इस तरह से छूता है जो आपको पसंद नहीं है, तो उन्हें ना कहें। “यह आपका शरीर है और कोई भी इसे इस तरह से नहीं छू सकता है जो आपको पसंद नहीं है” । डॉ. अग्रवाल ने कहा।
इसके अलावा उन्होंने विभिन्न चरणों के माध्यम से यह भी सिखाया कि हाथों को कैसे ठीक से धोना है और साथ ही यह भी प्रदर्शित किया है कि कैसे किशोर लड़कियों और महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान अपने शरीर की स्वच्छता को बनाए रखना चाहिए। कई लड़कियों और महिलाओं को अपने पीरियड्स को सुरक्षित रूप से मेनेज करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने मासिक धर्म के दौरान व्यक्तिगत स्वच्छता के बारे में बताया। उन्होंने किशोरियों और महिलाओं को सैनिटरी नैपकिन का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया।
समूह और समूह अभ्यास का विभाजन सुश्री आशा और शोभा द्वारा किया गया था। 65 प्रतिभागियों को 5 समूहों (प्रत्येक समूह में 13 व्यक्ति) में विभाजित किया गया था। प्रत्येक समूह को अलग-अलग विषय दिए जो प्रतिभागियों द्वारा उठाए गए जैसे कि: "व्यक्तिगत समस्या" “लैंगिक समानता" “स्वास्थ्य और सफ़ाई" “मासिक धर्म स्वच्छता" और "स्वास्थ्य"।
पांच समूहों ने इन विषयों पर परिचर्चात्मक सत्र के दौरान प्रस्तुति दी। कई प्रतिभागियों ने अपनी समस्याओं को चित्रण के माध्यम से या स्लोगन लिखकर दर्शाया। बातचीत के दौरान प्रतिभागियों ने सुरक्षा / छेड-छाड़/ लड़कों और लड़कियों के बीच पक्षपात / भेदभाव के विभिन्न मुद्दों को उठाया। उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता उन्हें लड़कों से बात करने या यहां तक कि उनके साथ खेलने से रोकते हैं। कुछ प्रतिभागियों ने महसूस किया कि चूंकि उन्हें अपने अध्ययन के लिए बाहर जाना है, इसलिए उनके माता-पिता ने उन्हें व्यवहार में थोडा अधिक लचीलापन दिखाने की अनुमति दी।
कस्तूरबा गांधी पर फिल्म की स्क्रीनिंग का आयोजन
27 और 29 अगस्त 2019

कस्तूरबा गांधी पर "गांधी की प्रेरणा कस्तूरबा" नामक एक फिल्म की स्क्रीनिंग 27 अगस्त, 2019 को गांधी स्मृति में आयोजित की गई। श्री मनीष ठाकुर द्वारा निर्देशित फिल्म स्वतंत्रता के संघर्ष के दौरान कस्तूर गांधी द्वारा दक्षिण अफ्रीका या भारत में निभाई गई भूमिका का वर्णन करती है। इस फिल्म में ’बा’ का चित्रण एक मजबूत इरादों वाली महिला के रूप में किया गया है। समिति निदेशक श्री दीपंकर श्री ज्ञान, माननीय संस्कृति मंत्री के एपीएस श्री आलोक नायक, MyGov के श्री गौरव और समिति के अनेक कर्मचारी स्क्रीनिंग में उपस्थित थे।

इसी फिल्म की एक और स्क्रीनिंग गांधी दर्शन में आयोजित की गई, जिसमें समिति के कार्यकारिणी सदस्य श्री लक्ष्मी दास, श्री शंकर कुमार सान्याल, भारत सरकार की गांधी 150 समिति के सदस्य श्री कृष्ण जी कुलकर्णी ने भाग लिया।
सामुदायिक विकास पर महिलों ने आवाज़ बुलंद की
4-5 दिसंबर, 2019
“सेवा” के विभिन्न क्षेत्रों की लगभग 30 महिलाओं, जिनमें मुस्तफाबाद, सुंदरनगर, हरकेशनगर, राजीवनगर, रघुबीरनगर, न्यू अशोकनगर, उत्तमनगर, जहाँगीरपुरी शामिल हैं, ने पंजाब और बिहार के प्रतिनिधियों के साथ प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण"अगिवन विकास पहल कार्यक्रम" में भाग लेते हैं। यह कार्यक्रम गांधी दर्शन में 4-5 दिसंबर, 2019 को हुआ।
इस अवसर पर औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्र के बीच अंतर के बारे में विचार करने के लिए कि क्या अगिवन औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्र के बारे में समझते हैं और वे कौन से लाभ हैं जो अनौपचारिक क्षेत्र अपनी प्रकृति के कारण नहीं प्राप्त कर सकते हैं, पर चर्चा की गयी। समूह प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों का मन मोह लिया।
रायपुर छतीसगढ़

पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं की क्षमता बढ़ाने पर कार्यशाला
20 जनवरी, 2020

रायपुर, छत्तीसगढ़ में "पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं की क्षमताओं को बढ़ाने" पर 20 जनवरी, 2020 को एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन, नवीन अंकुर महिला मंडल द्वारा गाँधी स्मृति एवं दर्शन समिति के सहयोग से किया गया। इसमें रायपुर अंचल की पांच ग्राम पंचायतों की लगभग 335 महिलाओं ने भाग लिया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री संजय श्रीवास्तव थे। अन्य अतिथियों में शामिल थे: सविता परते, मंदिर हसूद से सरपंच धमत गायकवाड़, एडवोकेट श्रीमती तुली माजो मदार और सीओ नगर निगम रायपुर, सुश्री उषा राय। नवीन अंकुर महिला मंडल की श्रीमती मीना गौतम भी इस अवसर पर उपस्थित थीं।

इन प्रमुख कारकों पर केंद्रित रही चर्चा:

1. लड़कियों के लिए शिक्षा
2. महिलाओं के एजेंडे के प्रभावी कामकाज और प्रबन्धन के लिए निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों (EWR) की क्षमताओं का निर्माण करना।
3. EWR की क्षमता निर्माण को बेहतर ढंग से समझने और उनके कार्यों को करने के लिए तंत्र को संस्थागत बनाना।
4. समुदाय को संगठित करना और निर्वाचन क्षेत्र की प्रक्रियाओं को मजबूत करना ताकि महिलाएं अपनी आवाज़ को स्पष्ट कर सकें और चुनावी प्रक्रिया में भाग ले सकें।
5. ग्राम सभा की बैठकों में भाग लेने के लिए लोगों को जुटाना
6. महिलाओं के सामूहिक और निर्माण नेटवर्क को मजबूत करना

वक्ताओं ने महसूस किया कि EWR के अनुभव को साझा करने के लिए उन्हें सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, साथ ही सफलता की कहानियों के लिए व्यापक प्रचार और महिलाओं के समूहों के लिए अधिक से अधिक बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया गया। प्रलेखन और रिकॉर्ड कीपिंग अतिरिक्त क्षेत्र हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। एक और प्रमुख घटक जिसे मजबूत करने की आवश्यकता है, वह हस्तक्षेप है जो विशेष रूप से हाशिए के वर्गों से जुड़ी महिलाओं पर लक्षित किया जाना है।
प्रतिभागियों के साथ परिचर्चात्मक सत्र भी आयोजित किए गए थे। स्थानीय कलाकारों द्वारा पेश सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम में रंग भर दिया। इससे पहले प्राथमिक विद्यालय के बच्चों ने मंगलाचरण का नेतृत्व किया। विभिन्न ग्राम पंचायत की 50 महिलाएँ जिन्होंने अपने क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया है और स्वयं को सशक्त बनाया है उन्हें अतिथियों द्वारा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
कस्तूरबा गांधी के 76 वें निर्वाण दिवस पर कार्यक्रम
22 फरवरी, 2020

‘बा’, कस्तूरबा गांधी का 76 वां निर्वाण दिवस (पुण्यतिथि) 22 फरवरी, 2020 को कथा व्यास डॉ. शोभना राधाकृष्ण द्वारा प्रस्तुत ‘कस्तूरबा कथा’ के माध्यम से गांधी दर्शन में मनाया गया। इसमें तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन "रिपोर्ट टू गाँधी" में भाग लेने वाले प्रतिभागियों के अलावा गांधीवादी बिरादरी के कई अन्य लोगों ने भाग लिया। संस्कृति मंत्रालय के संयुक्त सचिव और समिति के सदस्य सचिव, श्री एस सी बर्मा इस अवसर पर सम्माननीय अतिथि थे। श्री बसंत, श्री कलानंद मणि, श्री आदित्य पटनायक श्री दीपंकर श्री ज्ञान और अन्य लोगों ने भी कार्यक्रम में भाग लिया।

डॉ. शोभना राधाकृष्ण द्वारा 'कस्तूरबा कथा' में कस्तूर के जीवन के विभिन्न चरणों के आख्यानों का वर्णन किया; दक्षिण अफ्रीका के डरबन में अपने दो बेटों के साथ कस्तूरबा;; फीनिक्स आश्रम में बिताया गया जीवन और पहला सत्याग्रह; सेवाग्राम आश्रम जीवन, तीन राष्ट्रीय सत्याग्रह और अन्य छोटे सत्याग्रह में कस्तूरबा की भूमिका; 22 फरवरी 1944 को आगा खान पैलेस में उनका उत्पीड़न और बापू की गोद में उसका आखिरी दिन।
कथा व्यास ने यह भी बताया था कि कैसे कस्तूरबा ने मोहनदास को हर भूमिका में देखा था। एक बच्चा स्कूल से डरा हुआ; एक गंभीर किंतु बुझा हुआ छात्र; अपने पिता की अनुपस्थिति से आहत एक बेटा; अपने बेटे की असामयिक मृत्यु से विचलित एक पिता ; एक अपरिपक्व पति; एक बेरोजगार अंग्रेजी बोलने वाला युवक एक पारंपरिक परिवार की जरूरतों से जूझता युवक , जो दक्षिण अफ्रीका के अनुभव के बाद अचानक एक बुद्धिमान और सक्षम व्यक्ति के रूप में विकसित हो गया था। डॉ. शोभना ने कहा, "कस्तूबा को लगता था कि उसके मोहनदास ने जीवन में अपना उद्देश्य पा लिया है"।
कथा से पहले, रामचरितमानस और भजनों के अंश श्रीमती स्वाति भगत और श्री दीपक कालरा द्वारा गाए गए थे, जिन्होंने कस्तूरबा कथा धुन गाने में भी कथा व्यास का साथ दिया था। ऑडियोविज़ुअल प्रस्तुति डॉ. रवि चोपड़ा द्वारा की गई थी।

शाम को गुरु श्री मनोरंजन और श्रीमती मिनती पार्थ और सुश्री सोनाली महापात्रा की शिष्य सुश्री रत्ना पद्मा आयुस्मिता जंग्यसेनी द्वारा एक ओडिसी नृत्य की प्रस्तुती दी गयी। मिनती पार्थ और सुश्री सोनाली महापात्रा ने कृष्ण लीला (कृष्ण के जीवन का एक किस्सा और कथा) और नव दुर्गा (देवी दुर्गा की नौ अभिव्यक्तियाँ) के माध्यम से कस्तूरबा को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। पश्चिम बंगाल के श्री रीताब्रतो मलिक ने भी इस अवसर पर रवीन्द्र नृत्य किया।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर शांति प्रार्थना
7 मार्च, 2020
गिल्ड ऑफ सर्विसेज, एवं गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के संयुक्त तत्वावधान में 7 मार्च, 2020 को गांधी स्मृति में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर एक सर्व धर्म शांति प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विभिन्न धार्मिक गुरुओं, गायकों और नागरिक समाज के सदस्यों ने भाग लिया। इस अवसर पर गिल्ड ऑफ सर्विसेज की अध्यक्षा डॉ. वी. मोहिनी गिरि उपस्थित थीं।
इस अवसर पर कबीर, तुलसीदास, गुरु नानक के गीत महात्मा गांधी के शहादत स्थल, गांधी स्मृति में प्रस्तुत किये गये। महात्मा गांधी के पसंदीदा गीत वैष्णवजन तो और राम धुन ने इस अवसर को और अधिक व्यापक बना दिया।
इससे पूर्व डॉ. मोहिनी गिरि ने नागरिक समाज के सदस्यों के साथ मिलकर दुनिया में शांति और अहिंसा की अपील की। विश्व में हिंसा के माहौल पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कई संगठनों ने शांति और सौहार्द व शत्रुता को रोकने के लिए आह्वान किया। उन्होंने कहा कि “शांति का कोई रास्ता नहीं है, लेकिन शांति स्वयं रास्ता है”। डॉ. मोहिनी गिरि ने अपने संबोधन में सभी प्राणियों में शांति और सद्भाव की कामना की।